मुझे हासिल हुई जब से तेरे इल्ज़ाम की दौलत |
कमाई थी जो मैंने अब मेरे किस काम की दौलत ||
न जाने क्यों है लोगों को ये इतनी भूख पैसे की |
ज़रा सा पेट है तो चाहिए बस नाम की दौलत ||
तुम्हारे पास पैसा है तो फिर आराम कैसे हो |
मैं फ़ाक़ामस्त हूँ तो पास है आराम की दौलत ||
खतों का था खज़ाना पास मेरे सब जला डाला |
हुई है ख़ाक सब मेरे दिल -ए -नाकाम की दौलत ||
बख़ीली करते - करते आदमी की मौत आ जाए |
नहीं कुछ काम आ पायी तो फिर किस काम की दौलत ||
मज़ा जन्नत का है बस आपकी तीमारदारी में |
अगर कुछ काम आ जायेगी मुझ से राम की दौलत ||
गिना जाता है ‘सैनी ’ दुन्या के नामी अमीरों में |
पिए वो आपकी आँखों से छलके जाम की दौलत ||
डा० सुरेन्द्र सैनी
No comments:
Post a Comment