Sunday, 29 April 2012

दौलत


मुझे   हासिल   हुई   जब   से    तेरे  इल्ज़ाम    की  दौलत |
कमाई  थी  जो  मैंने  अब  मेरे  किस   काम   की  दौलत ||

न   जाने   क्यों    है  लोगों  को  ये  इतनी  भूख  पैसे  की |
ज़रा   सा   पेट   है   तो    चाहिए   बस  नाम  की  दौलत ||

तुम्हारे   पास    पैसा    है  तो   फिर    आराम    कैसे  हो |
मैं    फ़ाक़ामस्त     हूँ   तो  पास   है  आराम  की  दौलत ||

खतों   का   था   खज़ाना   पास   मेरे   सब   जला   डाला |
हुई   है  ख़ाक   सब   मेरे  दिल -ए -नाकाम   की  दौलत  ||

बख़ीली   करते - करते   आदमी   की   मौत   आ   जाए |
नहीं कुछ काम आ पायी तो फिर किस काम की दौलत ||

मज़ा   जन्नत   का   है  बस   आपकी   तीमारदारी  में |
अगर कुछ काम आ जायेगी मुझ  से राम   की  दौलत ||

गिना  जाता   है  ‘सैनी ’ दुन्या   के  नामी  अमीरों   में |
पिए  वो आपकी आँखों  से  छलके  जाम   की  दौलत ||

डा० सुरेन्द्र  सैनी    
   

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