हमारे पास आओ भी |
फ़साना कुछ सुनाओ भी ||
शिकायत जो भी है खुल कर |
ज़रा हमसे बताओ भी ||
हमें तुम साथ में लेकर |
कहीं पे घूम आओ भी ||
दीवानों की मज़ारों पर |
दिया चल कर जलाओ भी ||
हुनर है जो निहाँ तुम में |
ज़माने को दिखाओ भी ||
भला एसी भी क्या ख़फ़गी |
ज़रा सा मुस्कुराओ भी ||
मेरी मजबूरियाँ समझो |
समझदारी दिखाओ भी ||
सताया है बहुत अब तक |
अरे अब बाज़ आओ भी ||
लो ‘सैनी’ सर झुकाता है |
चलो अब मान जाओ भी ||
डा० सुरेन्द्र सैनी
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