मैं समझाऊँ नहीं समझे मेरा दिल |
तुम्हारे ही लिए मचले मेरा दिल ||
करो इक़रार तो नाचे मेरा दिल |
मगर इन्कार पे लरजे मेरा दिल ||
मेरी छत पर जो कागा बोलता है |
किसी की दीद को तरसे मेरा दिल ||
तुम्हारी याद की बरसात लेकर |
घटा घन घोर सा बरसे मेरा दिल ||
दवा ही क्या दुआ भी चाहिए अब |
बिना इनके नहीं धडके मेरा दिल ||
सदा उनके लिए ही सोचता है |
तरस खाता नहीं मुझ पे मेरा दिल ||
अगर मर्ज़ी मुताबिक़ हो नहीं कुछ |
तभी लड़ बैठता मुझ से मेरा दिल ||
वजूद इसका बड़ा छोटा है फिर भी |
करूँ वो ही मैं जो कह दे मेरा दिल ||
ज़रा ‘सैनी’तू मुझ से प्यार कर ले |
घड़ी भर को सही रख ले मेरा दिल ||
डा० सुरेन्द्र सैनी
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