Wednesday, 23 May 2012

मेरे हमसफ़र


तू जो जा रहा है यूँ  रूठ  कर  तुझे  क्या  हुआ  मेरे  हमसफ़र |
कुछ तो मुझे भी हो अब ख़बर तुझे क्या हुआ  मेरे  हमसफ़र ||

तेरा  ध्यान   है  जो  इधर  उधर तुझे क्या हुआ मेरे हमसफ़र | 
सब  की  लगी  तुझ पर नज़र तुझे क्या हुआ  मेरे  हमसफ़र || 

तू  जो  कर  रहा  है  अगर  मगर तुझे क्या हुआ मेरे हमसफ़र | 
सोया  नहीं  जो  तू  रात  भर तुझे   क्या  हुआ  मेरे  हमसफ़र || 

कुछ तो बता क्यूँ हैं चश्म -ए- तर तुझे क्या हुआ मेरे हमसफ़र | 
हैं  सवाल  अब  मेरी  ज़ात  पर तुझे  क्या  हुआ  मेरे हमसफ़र || 

है  जो  ‘सैनी’ तेरे  ही  साथ  ग़र तुझे  क्या  हुआ  मेरे हमसफ़र |  
क्यूँ  सता  रहा  तुझे  आज  डर तुझे  क्या  हुआ  मेरे हमसफ़र ||  

डा० सुरेन्द्र  सैनी   

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