Sunday, 6 May 2012

बाप की लोरी


झूठ  –ओ -फ़रेब की कहानी नहीं आती |
सो जा मेरे बच्चे मुझे लोरी नहीं  आती ||

कितने घूँट मैंने कडूवाहटों    के  पिए  हैं |
यूँ ही तो मिज़ाज में  तल्ख़ी  नहीं  आती ||

जिसने जिम्मेदारियां घुट्टी में पी ली हों |
एसे  आदमी  पे  तो जवानी  नहीं  आती ||

आज की  कमाई से कल का चुका आये |
जोड़ में उधारी  के  ग़लती   नहीं  आती ||

दौड़ में तरक्क़ी की पीछे रहता आया हूँ |
भाई मेरे मुझको  बेइमानी नहीं   आती ||

डा० सुरेन्द्र  सैनी 

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