झूठ –ओ -फ़रेब की कहानी नहीं आती |
सो जा मेरे बच्चे मुझे लोरी नहीं आती ||
कितने घूँट मैंने कडूवाहटों के पिए हैं |
यूँ ही तो मिज़ाज में तल्ख़ी नहीं आती ||
जिसने जिम्मेदारियां घुट्टी में पी ली हों |
एसे आदमी पे तो जवानी नहीं आती ||
आज की कमाई से कल का चुका आये |
जोड़ में उधारी के ग़लती नहीं आती ||
दौड़ में तरक्क़ी की पीछे रहता आया हूँ |
भाई मेरे मुझको बेइमानी नहीं आती ||
डा० सुरेन्द्र सैनी
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