भंवर से मुफ़लिसी के आज तक उबरा नहीं ‘सैनी’|
मगर सच ये भी है कि टूट कर बिखरा नहीं ‘सैनी’||
लगे रहते हैं कोशिश में मुझे बरबाद करने की |
पका कर खालेंगे मुझको अरे बकरा नहीं ‘सैनी’||
शिकायत एक ही रहती है मेरी जान-ए-जाना को |
अभी तक इश्क़ में उलझा हुआ सुधरा नहीं ‘सैनी’||
कहा जो आपसे होगा भलाई में कहा होगा |
अगर ख़ुद ने भी ग़लती की है तो मुकरा नहीं ‘सैनी’||
बड़ा ही नर्म दिल उसका हमेशा ही वो लोगों की |
हिमाकत पे शरारत पे कभी बिफरा नहीं ‘सैनी’||
बड़ी ख़्वाहिश है कहने की मगर वो कह नहीं पाता |
अदब में आज तक भी इस लिए निखरा नहीं‘सैनी’||
कोई इसरार करदे तो वो झट से मान जाता है |
बुरा थोड़ा सही है पर गया गुज़रा नहीं ‘सैनी’||
डा० सुरेन्द्र सैनी
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