Wednesday, 2 May 2012

मुफ़लिसी का भंवर


भंवर  से मुफ़लिसी के आज तक उबरा नहीं ‘सैनी’|
मगर सच ये भी है कि टूट कर बिखरा  नहीं ‘सैनी’|| 

लगे रहते हैं कोशिश में   मुझे  बरबाद  करने  की |
पका कर खालेंगे मुझको अरे बकरा   नहीं  ‘सैनी’|| 

शिकायत एक ही रहती है मेरी  जान-ए-जाना को |
अभी तक इश्क़ में  उलझा हुआ सुधरा नहीं ‘सैनी’|| 

कहा   जो   आपसे   होगा   भलाई    में  कहा  होगा |
अगर ख़ुद ने भी ग़लती की है तो मुकरा नहीं ‘सैनी’|| 

बड़ा  ही  नर्म  दिल  उसका हमेशा  ही वो लोगों की |
हिमाकत  पे  शरारत  पे  कभी  बिफरा नहीं ‘सैनी’|| 

बड़ी ख़्वाहिश है कहने की मगर  वो कह नहीं पाता |
अदब में आज तक भी इस लिए निखरा नहीं‘सैनी’|| 

कोई इसरार करदे तो  वो  झट  से  मान  जाता  है |
बुरा  थोड़ा  सही  है  पर  गया  गुज़रा  नहीं  ‘सैनी’|| 

डा० सुरेन्द्र  सैनी 

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