Monday, 7 May 2012

शुभागमन


आपका   आज    शुभागमन |
शुष्क अधरों को है आचमन ||

मेरे   छंदों   के  आकार   में |
व्याप्त हैं आप  ही के  सपन ||

प्यास की अन्जुरी के लिए  |
खोल दो मद भरे  ये  नयन ||

रूपसी    के   घने   केश   हैं |
या घटाओं का  आवागमन ||

ये   निराली छवी  देख कर |
आज  'सैनी' करे  है नमन ||

डा० सुरेन्द्र  सैनी 


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