आपका आज शुभागमन |
शुष्क अधरों को है आचमन ||
मेरे छंदों के आकार में |
व्याप्त हैं आप ही के सपन ||
प्यास की अन्जुरी के लिए |
खोल दो मद भरे ये नयन ||
रूपसी के घने केश हैं |
या घटाओं का आवागमन ||
ये निराली छवी देख कर |
आज 'सैनी' करे है नमन ||
डा० सुरेन्द्र सैनी
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